सही कह रहे हैं इसलिए हमें आलोचनात्मक भाव से इतिहास पढ़ना चाहिए. धोखा युद्ध का नियम है. शिवाजी ने अफजलखां को धोखे से ही मारा था. बुश ने फरेबी झूठ के आधार पर इराक पर हमला किया. हमलावर आर्य भी थे मुसलमान भी. लेकिन दोनों यहीं की माटी में बस-खप गये, अंग्रेज लूट कर चले गये. हमें एक बात पर गौर करना चाहिए कि इतने शूरवीरों की धरती पर नादिरशाह जैसा चरवाहा 3-4000 घुड़सवारों के साथ पेशावर से बंगाल तक रौंद डालता है? हमारे शूरवीर क्या कर रहे थे? जिस समाज में शस्त्र और शास्त्र का अधिकार चंद लोगों के ही पास हो; जो समाज ऊंच-नीच के इतने खानों में बंटा हो; जो समाज अपने एक बड़े हिस्से को अछूत मानता रहा हो, उस समाज को कोई परास्त कर सकता था.
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