Surya Shukla कुछ खुद भी पढ़कर जानिए. किताबों से दुश्मनी क्यों? ज्यादातर इतिहासकार और तिलक, श्रुति परंपरा के ऋग्वैदिक काल का कालक्रम ईशा पूर्व 3000-1000 के बीच का बताते हैं. उन्हें लिपि का ज्ञान नहीं था. लिपि का अन्वेषण बुद्ध के आस-पास की परिघटना है. प्राचीनतम उपलब्ध लिखित ग्रंथों में बैद्ध ग्रंथ हैं जो आमजन की भाषा पाली में लिखे गए थे. श्रुति परंपरा से पीढ़ी-दर-पीढ़ी वैदिक संस्कृत ग्रंथों का संकलन उसके बाद हुआ. अब सूचनाओं के लिए पुस्तकों का नहीं तो गूगल का सहारा लें. आज आप ऋग्वेद पढ़ना शुरू करें, पढ़कर प्रामाणिकता से अपनी बात कह सकते हैं.
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