ब्राह्मणवाद एक विचारधारा है जो कर्म या विचार के आधार पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन करता है. आप कहेंगे कि वर्णाश्रम (जो इतना क्रूर है कि अति वृद्धावस्था में बाप-दादा, मां-दादी को जंगल जंगल भटकने को छोड़ देता है) कर्म के आधार पर श्रम विभाजन है. कितने शूद्र ब्राह्मण बने हैं? ऐसा होता तो तपस्वी शंबूक की राम हत्या क्यों करते?
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