तानाशाह हर बात से डरता है
डरता है रामानुजम के लेख से मेधा पाटकर के पाठ से
जो डरते नहीं तानाशाही आतंक के खौफ से
उन सबसे डरता है तानाशाह
विरोध के बदले मौत से होते हैं जो बेख़ौफ़
मौत के घाट पहुंचा देता है उन्हें तानाशाह
ज़ुल्म बढ़ता है तो मिट जाता है
यह हकीकत जानता नहीं तानाशाह
कब्रगाहों से उठे बगावत के बवंडर में
तिनके माफिक उड़ जाता है हर तानाशाह
होता है शून्य इतिहासबोध से
इतिहास की किताबें जलाता है तानाशाह
अनभिज्ञ ऐतिहासिक सच्चाई से
कि इतिहास के कूड़ेदान में समाता है हर तानाशाह
तोड़ता है दानिशमंद का कलम
और फोड़ता है अदाकार का साज़
इससे तो और उभर जाती है आवाज़
यह बात जानता नहीं तानाशाह
[इमि/२०.०९.२०१४]
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