Tuesday, September 16, 2014

अगर दुनिया से ख़त्म हो जाए पुलिसतंत्र

अगर दुनिया से ख़त्म हो जाए पुलिसतंत्र
हो जाएगा किसान और मजदूर स्वतंत्र
करता है जो क़ानून व्यवस्था का कोरा प्रपंच
 हिफाज़त करता है मुल्क के के थैलेशाहों की
और जरायमपेशा सियासतदां आकाओं की
वर्दी के नाम मचता है आवाम में कोहराम
यह बात और है देता है वही इस वर्दी का दाम
हो जाए अगर धरती से पुलिस की जमात ख़तम
दुनिया में लहराएगा अमन-चैन का परचम
किसानों के पैसे से खरीदता है बन्दूक और गोली
टाटा के आदेश से खेलता उन्ही के खून से होली
चाहिए टाटा को कलिंगनगर के किसानों की जमीन
किसानों ने कहा देंगे जान पर देंगे नहीं अपनी जमीन
हुई नहें टाटा को आदिवासियों की यह बात बर्दास्त
जमशेद नगर बनाने में नहीं हुई थी ऐसी कोइ बात
हुए थे उस वक़्त हजारों आदिवासी बेघर
उनके वंशज रखे है आस में अब तक सबर
जमीन न देने की आदिवासियों की मजाल
कायम होगी इससे एक बहुत बुरी मिसाल        
किया टाटा ने बीजू पटनायक के बेटे को तलब
कहा उससे आदिवासियों को सिखाने को सबब
भेज दिया उसने कलेक्टर और पुलिस कप्तान
हुक्म दिया मारने को अदिवासी किसान
मार दिया उनने कितने ही मासूम इंसान
सिखाया जाता है पुलिसियों को मानना आदेश
हो जाए चाहे विवेक और जमीर  का भदेश
पुलिसियों में होते हैं कई बेहतर इंसान भी
फ़र्ज़ अदायगी में खतरे में डालते हैं वे ज़िंदगी
ऐसे लोग अपनी जमात में अपवाद होते हैं
अपवादों  से नियम ही सत्यापित होते हैं
होगा जब कभी ऐसे दिन का आगाज़
वर्दियां सुनेंगीं अंतरात्मा की आवाज़
सुनेंगीं आवाम का इन्किलाबी सन्देश
मानेंगीं  नहीं हाकिम का अनर्गल आदेश
बदल देंगी दिशा बन्दूक की नली का
हाकिम दिखेगा गुंडा पतली गली का
मारेंगी नहीं तब वे मजदूर किसान
बंदूकों पर होगा उनके लाल निशान
(इमि/16.०९.२०१४)

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