Sunday, September 7, 2014

मोदी विमर्श ३२

सुनील यादव  शातिर सियासतदार ऐसा ही करता है, कहता है चौकीदारी करेगा और निराई के बहाने सारी फसल काट लेता है और सहानुभूति जताता है बची हुई शेष घास पर. सभ्यता दोगलेपन का संचार करती है. लोग वह दिखने की कोशिस करते नहीं जो होते नहीं. वायदा करते हैं आसमान का और लूटते हैं धरती.  लोग इतने बुद्धू है कि मूर्खतापूर्ण लफ्फाजी और हकीकत में फर्क नहीं कर पाते तो मोदी जी क्या करें? उन्होंने तो गुजरात माडल के नाम पर वोट माँगा था अब वे वही कर रहे हैं. १९९७-९८ में एक बार गौहाटी से दिल्ली की जहाज यात्रा में एक हिंदी-भाषी  चीनी मेरी बगल की सीट का सहयात्री था. बात-चीत में उसने बताया की माओ काल के बाद वहां भ्रष्टाचार पनपा और बढ़ता जा रहा है. "लेकिन चीन में सिफ मध्यस्थ और शीर्षस्थ नेतृत्व हे भ्रष्ट है, भारत में प्रत्यक्ष-अप्रत्य्यक्ष सभे भ्रष्ट है, अपवाद नियमम का सत्यापन ही करते हैं.

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