Monday, September 22, 2014

ज़िंदा कौमें

ज़िंदा कौमें ज़िंदगी में यकीन करती हैं 
करर्ती नहीं इंतज़ार-ए-मौत 
मौत है ज़िन्दगी की आख़िरी सच्चाई 
देश-काल से परे और समय-तालिका से भी 
इतिहास बताता है  
कि निश्चित है बे-वजूदी है जो भी बा-वजूद
ज़िंदा कौमें मरतीं नहीं मर कर भी जीती हैं
जीती हैं जो इंतज़ार-ए-मौत या मौत के खौफ़ में 
होती हैं मुर्दा कौमें जो जीती नहीं 
जी-जी कर मरती हैं पल-पल हर पल 
ज़िंदा क़ौमें मरती नहीं 
मर मर कर जीती हैं युग-युग 
बदलते हुए देश काल 
निश्चित अंत की अनिश्चितता से बेख़ौफ़ 
(इमि/२३.०९.२०१४)

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