ज़िंदा कौमें ज़िंदगी में यकीन करती हैं
करर्ती नहीं इंतज़ार-ए-मौत
मौत है ज़िन्दगी की आख़िरी सच्चाई
देश-काल से परे और समय-तालिका से भी
इतिहास बताता है
कि निश्चित है बे-वजूदी है जो भी बा-वजूद
ज़िंदा कौमें मरतीं नहीं मर कर भी जीती हैं
जीती हैं जो इंतज़ार-ए-मौत या मौत के खौफ़ में
होती हैं मुर्दा कौमें जो जीती नहीं
जी-जी कर मरती हैं पल-पल हर पल
ज़िंदा क़ौमें मरती नहीं
मर मर कर जीती हैं युग-युग
बदलते हुए देश काल
निश्चित अंत की अनिश्चितता से बेख़ौफ़
(इमि/२३.०९.२०१४)
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