Monday, September 8, 2014

मिसाल-ए-युवराज

सुना था होता है मुंह काला दलाली में कोयले की 
कर लिया मुंह काला खरीद-फरोख्त में घोड़ों की 
उन घोड़ों में कुछ चतुर-चालाक लोमड़ियाँ भी थीं 
छुपे कैमरों से मोल-भाव की बोलती तस्वीरें ले लीं
युवराज के भांट ने किया खबरनवीशों से संवाद 
बताया तस्वीर को विपक्षी चाल और बेबुनियाद 
युवराज ने लगाया आक्रामक शैली में प्रतिआरोप 
 दुश्मन के दिमाग पर छाया है बादल का घटाटोप 
दिया है मैक्यावाली ने सियासतदानों का पैगाम
सियासत में सदाचार और नैतिकता का क्या काम
है गर धोखा-धडी खून-खराबे से कोइ भी परहेज 
छोड़ कर तख़्त-ओ-ताज अपनाये सन्यासी भेष 
हों कितनी भी बेतुकी-बेहूदी मजहबी रवायतें  
कट्टर मुल्ले से पढो कुरआन की आयतें 
मज़हब है सियासत का कामयाब औज़ार 
अलग-अलग रूपों में आजमाओ बार बार 
हो जब मुल्क के किसी मसले का सवाल 
मचा दो सारे मुल्क में मजहबी बवाल 
हो गर कभी आवाम के हक का विवाद 
हिचको  मत फैलाने में धार्मिक उन्माद 
वायदा करो देने का सारा आकाश 
गर पड़े जरूरत कर दो सत्यानाश 
देता है युवराज को और भी नायाब सलाह
"प्रिंस" है सियासी मशविरों का भण्डार अथाह
चुनते हुए जीवंत मिशाल पडा नहीं दुविधा में
रोड्रिगो बोर्जिया को चुन लिया था सुविधा से 
छलता था लोगों को चमात्कारिक निपुणता से 
पा जाता था अवसर काफी प्रचुरता में 
उसकी अपनी थीं जेलें जल्लाद जहरनवीश
करता था कारिंदों की बारीकी से तफशीश 
किया इस कार्डिनल ने कुछ अद्भुत तिकड़म 
बन गया आसानी से पोप अलेक्जेंडर षष्टम 
चुनना हो गर जीवंत मिसाल मैक्यावाली को आज 
बहुत दुविधा में पड़ जाएगा उसका सियासी अंदाज़ 
दुनिया की छोड़ो होंगे हिन्दुस्तान से ही अनेकों दावेदार 
नहीं रहेगा किसी से पीछे अपना राष्ट्रभक्त सूबेदार 
समझेगा ग़र वह भूमंडलीय सियासत का मिजाज़ 
लाजिम है चुनेगा हिन्दुस्तान से मिसाल-ए-युवराज 
(इमि/०९.०९.२०१४)

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