Chanchal Bhu चंचल भाई! समाजवादियों में शासक वर्ग के समर्थक हमेशा रहे हैं. जहां जेपी और आचार्य नरेन्द्रदेव राष्ट्रवाद और समाजवाद में सामंजस्य के जरिये कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी का आधार बढाने में लगे थे वहीं मीनू मसानी और लोहिया खुरपी और टार्च लेकरआंदलन में कम्युनिस्ट कांस्पीरेसी ढूंढ रहे थे. कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी के संस्थापना दस्तावेज पूर्व कथ्य में लिखा है कि कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी की संस्थापना ऐसे कांग्रेस जनों द्वारा किया गया जो मार्क्सवाद की विचार धारा के प्रभाव में आ गए हैं. आजादे के बाद इनसे पटेल ने कहा पार्टी के अन्दर पार्टी नहीं रह सकती और इन्हें निकलना पडा. फिर अशोक म्मेह्ता थीसिस के तहत सत्ता-लोलुप समाजवादियों ने कांग्रेस में जाना शुरू कर दिया. लोहिया ने कांग्रेस विरोध में संघियों को वेधता दी और उनके चेले सत्ता के लिए संघ की गोद में बैठने से नहीं हिचके अम्बेडकरी हनुमान राम विलास सामेट कुछ अभी भी हैं.
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