Saturday, September 20, 2014

नई रवायत की अपील

यह नई रवायत की एक अपील है 
वर्चस्व से मुक्ति की दलील है 
माफी की तो है पुरानी परंपरा 
बुद्ध-ओ-कबीर से है इतिहास भरा 
पिछली सदी में की मंटो ने पहल 
किया खुदा को बडप्पन से बेदखल 
("खुदा कभी माफ़ नहीं करता/खुदा से बड़ा है स-आदत हुसैन मंटो")
मैं तो मंटो का एक अदना सा मुरीद हूँ
सज़ा-से-सुधार के उसूल के विपरीत हूँ 
सभ्यता का यही आचार 
कथनी-करनी में बड़ी दरार 
मेल नहीं होता सार और सन्देश में 
मिलते हैं लोग बहुरूपिये के भेष में 
माना, सभ्यता के गुणों से महरूम हूँ  
शब्द-ओ-कर्म की एका मकदूम हूँ 
इसीलिये कहता हूँ बात साफ़ साफ़ 
चाहें तो कर दें सभ्य लोग माफ़ 
(इमि/२१.०९.२०१४) 

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