मुझे अच्छी लगती हैं कैसी लड़कियां?
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो संस्कारों की माला जपते हुए नहीं
तोड़ते हुए आगे बढ़ती हैं
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो डरती नहीं, लड़ती हैं
इंसाफ के लिए
एक खूबसूरत कयानात के लिए
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो कॉफी नहीं बनातीं
कविता लिखती हैं
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो भोग्या-पूज्या के सुनहरे पिंजरे को
चकनाचूर करती हैं
जो सीता-सावित्री की मर्दवादी विरासत को
हिकारत से धता बताती चलती हैं
स्त्री-प्रज्ञा और दावेदारी की
नई विरासत रचती हैं
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो विरासत में मिली भाषा के
एक-एक शब्द की चीड़-फाड़ करती हैं
बेटा की शाबासी को
अपमान बता नामंजूर कर देती हैं
समता का नया शब्दकोष रचती हैं
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो पाजेब को तोड़कर झुनझुना बना लेती हैं
और आंचल को फाड़कर परचम
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो मर्दवाद को देती हैं सांस्कृतिक संत्रास
वह सब कह और कर के
जो उन्हें नहीं कहना-करना चाहिए
जरूरत है इस संत्रास की निरंतरता की
मटियामेट करने के लिए
मर्दवाद का वैचारिक दुर्ग
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो करती हैं मर्दवाद के वैचारिक दुर्ग पर वार
रखती हैं सैंस्कृतिक संत्रास की निरंतरता बरकरार
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो चखती ही नहीं
मजे से वर्जित फल खाती हैं
प्रतिबंधित जलाशयों में
गोताखोरी करती हैं
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो जानती हैं ऐतिहासिक मर्म
कि विद्रोह श्रृजन की आवश्यक शर्त है
विद्रोह करती हैं
नए शास्त्र रचती हैं
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जिनके हाथों में श्रृंगार की डिबिया नहीं
कलम होता है
जो पकोड़े नहीं तलतीं
इंकिलाब करती हैं
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
(ईमि: 30.06.2017)
पुनश्च:
पुनश्च:
इसीलिए मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जो आजादी चाहती हैं हिजाब और बुर्के से
चूड़ियों की खनक और पायलों के छम-छम से
रीत-रिवाज के चिक चिक
और संस्कारों के लटके-झटके से
मां-बाप की हिदायतों और आशिकों की शिकायतों से
मुझे अच्छी लगती हैं ऐसी लड़कियां
जिनका श्रृंगार सहनशीलता नहीं
प्रतिकार होता होता है
जिनका हथियार शालीनता नहीं
रश्म-ओ-रिवाज पर बेदर्द प्रहार होता है। .......
(02.12.2018)

Woderful🐦
ReplyDeletethanks
Deleteपितृसत्तात्मक सोच को सशक्त रुप से प्रहार करते हुएं आधी आकाश आधा धर्ती को उन्मुक्त के लिए आह्वान !
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteशानदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteशानदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteशानदार अभिव्यक्ति
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