Sunday, July 15, 2018

फुटनोट 190 (प्रैक्सिस का सिद्धांत)

हौसला-अफजाई का शुक्रिया। व्यक्तिगत जीवन में भी नास्तिक होने से आपका मतलब हो या नहीं, लेकिन मित्र मैं मार्क्सवादी हूं, नास्किकता उसका उपपरिणाम है। मार्क्सवाद के मूलभूत सिद्धांतों में एक है प्रैक्सिस का सिद्धांत जिसका एक प्रमुख बिंदु है, कथनी-करनी के अंतर्विरोध से मुक्ति का निरंतर प्रयास। अगर मैं स्त्रीवाद का हिमायती हूं तो वह मेरे अपनी पत्नी और बेटियों के साथ व्यवहार में परिलक्षित होना चाहिए। मैंअपनी झोपड़ी (लाइब्रेरी) के बाहर बैठा हूं, अभी मेरी बेटी का मिसकॉल आने वाला है कि उठ गई है चाय बनाऊं। आप सही हैं वह तो ठीक है लेकिन आपका सही होना दिखना भी चाहिए। समता का सुख इतना अद्भुत है कि भौतिक कष्ट मायने ही नहीं रखते। मां-बापों और शिक्षकों की बडी आबादी, इस सुख के अनुभव से वंचित होने के कारण बच्चों और विद्यार्थियों से दोस्ती नहीं करते, खुद भी टेंसन सिंह बने रहते हैं और बच्चों को भी टेंसन देते हैं। धारा के विपरीत तैरना मुश्किल तो होता है, असंभव नहीं। कुछ भी मुफ्त ने नहीं मिलता, नतमस्तक समाज में सिर उठाकर चलने की भी कीमत चुकानी पड़ती है।

No comments:

Post a Comment