उस दिन मुश्किल से शुरू कर पाया था लिखना
बुद्ध के राजनैतिक दर्शन का प्राक्कथन
हिंसक समाज में प्रवचन लगता है अहिंसा का दर्शन
पथराए चेहरों वाले नाजी सिपाहियों
और सिसकती मानवता के दृश्यों वाले
विस्कोंती की फिल्म की रील की तरह
आंखों में घूमने लगे उस वीडियो के दृश्य
जिसमें पीड़ा से बिलखती वह लड़की
जिसके पिता की हत्या कर दी पुलिस ने
वैसे ही जैसे सामंती राजाओं के कारिंदे
किसी को भी किसी भी बात पर
पर कत्ल कर देते थे
कैसे संभालेगी वह लड़की
मां और भाई बहनों की जिम्मेदारी का अर्थशास्त्र
लगता है आर्थिक तत्ववादी है मेरा संवेदबोध
मृतक और हत्यारों से हटकर
परिवार के राजनैतिक अर्शशास्त्र पर
टिक जाता है।
(ईमि: 03.07.2018)
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