चार्वाक एक महान भौतिकवादी दार्शनिक थे जो वेदों के रचिताओं को धूर्त मानते थे। उन्होंने लोकायत परंपरा की शुरुआत की। ब्राह्मणवादी वर्चस्व के दौर में सारा भौतिकवादी साहित्य उसी तरह नष्ट कर दिया गया जैसे बौद्ध साहित्य। राहुल सांकृत्यायन तिब्बत से बौद्ध निकायों को खच्चरों पर ढो
कर लाए थे। ऋणं कृत्वा घृतमं पीवेत की किंवदंति ब्राह्मणों ने फैलाया उसी तरह जैसे वाल्मीकि के शूद्र होने की या कालिदास के मूर्ख होने की।
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