पूंछेगी मेरी नतिनी जब आज के हालात के सबब
पूंछेगी मेरी नतिनी जब आज के हालात के सबब
0कुचले जा रहे थे जब विचार, विचारक और दानिशी अदब
वह यह भी पूछेगी हम क्या कर रहे थे
जब हो रहा था यह सब?
हमारे पास एक ही जवाब होगा
हम जारी करते थे हर बार वक्तव्य
जब जब होता था जनतंत्र का कत्ल
कभी कभी हम सड़क पर उतर कर भी
जताते थे अपना विरोध
हम और कर भी क्या सकते थे
जब जनता समझदार न हो?
लेकिन वह नहीं पूछेगी
आईटेन बदलकर बीयमडब्लू लेने की तारीख
वह प्रोफेसर से डीन और कुलपति बनने के लिए
ताश के पत्तों की सुघर चाल के बारे में भी नहीं पूछेगी
वह पूछेगी एक ही सवाल
कब बोया गया फिरकापरस्ती का बीज
और कब रची गयी आवाम के खिलाफ साजिश
वह यह भी पूछेगी कि
हम क्या कर रहे थे
जब बोया जा रहा था नफरत का बीज
वह अंकुरित हो पौधे से विशाल वृक्ष बन रहा था?
(ईमि: 06.07.2018)
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