Wednesday, July 11, 2018

ईश्वर विमर्श 71 (बच्चों को मजहबी बनाने का अपराध)

Suhel Nadeem सारे पोंगापंथी और कठमुल्ले नास्तिकता को धर्म बताते हैं, नास्तिकों के पास सब प्रश्नों के उत्तर हैं जिनके नहीं हैं उन्हें तलाशते हैं। कठमुल्लों में दिमाग के इस्तेमाल का दम नहीं होता इस लिए पोंगापंथियों की तरह लीक पर चलते रहते हैॆं। एक सवाल का जवाब तो दिया नहीं कि खुदाओं के मूर्ख बंदे क्यों आपस में लड़ते हैं और 7 वीं सदी के पहले कौन खुदा था? धार्मिक कायरों में तर्क का दम नहीं होता आपका कुतर्क नया नहीं तोतों की तरह रटा हुआ है। Ruchi Bharti बच्चे बहुत करीने से चीजें देखते-सीखते हैं और उनके दुश्मन मां-बाप पैदा होते ही उन्हें धर्म की जहालत में फंसाने की कोशिस करते हैं, ज्यादातर फंस जाते हैं कुछ ही मेरी तरह बगावत कर पाते हैं। पैदा होते ही बच्चे को पूजा सिखाना या नमाज पढ़ाना उनके प्रति जघन्य अपराध है, उन्हें विवेक के इस्तेमाल से वंचित करना है। ऐसे अपराधी मां-बाप समाज और विवेक के दुश्मन होते हैं। खुद तो मजहबी जहालत के शिकार होते ही हैं अपनी जहालत अपने बच्चों पर भी थोपते हैं।

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