Sunday, July 22, 2018

मोदी विमर्श 89 (ईमानदारी का भ्रष्टाचार)

कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार बहुत था, 2008 में उसने फ्रांस की एक कंपनी से लड़ाकू विमान का सौदा किया था जिसमें भ्रष्टाचार की सुगबुगाट हुई और सौदा रद्द कर दिया गया। मोदी की ईमानदार सरकार ने वही सौदा 3 गुने दाम पर किया। भ्रष्ट कांग्रेस की सौदेबाजी में तकनीकी जानकारियों का हस्तांतरण भी शामिल था, ईमानदार सरकार दरियादिल भी होती है, माल जनता का हो तो कहना ही क्या? 4 साल से अधिक हो गया सरकार ने अभी तक किसी भ्रष्टाचारी को हाथ नहीं लगाया, बल्कि कांग्रेस सरकार ने जिन्हें बंद किया था वे छूट गए। मार्क्स ने लिखा है कि राज्य पूंजीपतियों के सामान्य हितों के प्रबंधन की इक्जीक्यटिव कमेटी है। यहां उनकी बात बिल्कुल सही नहीं साबित होती। इक्जीक्यूटिव कमेटी थोड़ा सम्मानजनक शब्द माना जाता है। यह ईमानदार सरकार तो पूंजीपतियों के बंधुआ मजदूर का आचरण कर रही है। खैर अपवाद नियम की पुष्टि ही करते हैं। इस ईमानदार सरकार ने रख-रखाव की जिम्मेदारी प्रतिष्ठित सरकारी कंपनी 'हाल' को देने की बजाय अंबानी की शुरू होने वाली कंपनी को 45,000 करोड़ के ठेके पर देगी, उसी तरह जैसे अंबानी के खुलने वाले विश्वविद्यालय को उत्कृष्टता का तमगा। हमारा नमक-हलालों का समाज है ।

भ्रष्टाचार पूंजीवाद की (सभी वर्ग समाजों की) अंतर्निहित प्रवृत्ति है, नीतिगत दोष नहीं। इसका समूल उन्मूलन, पूंजीवाद के अंत के साथ ही होगा। लेकिन इतनी ढिठाई और बेशर्मी से भ्रष्टाचार की यह अभूतपूर्व मिशाल हैं। भारत माता की जय।

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