Saturday, August 10, 2019

जो भी है दोपदी

जो भी है दोपदी
धृतराष्ट्रों की धर्मांधता का बयान है दोपदी
कविताई से करने वाली वार है दोपदी
कॉफी नहीं बनाती क्रांति करती है दोपदी
कलम ही नहीं बंदूक को भी आत्म रक्षा में हथियार बनाती है दोपदी
सभ्यता के मुरीदों को देती है सांस्कृतिक संत्रास दोपदी
जो भी है मेरे सलाम की हक़दार है दोपदी
पिंडलियों में खाकर गोली भी पेटीकोट नहीं उतारती है दोपदी
करता है ग़र जोरृ-जुल्म तो दरोगा के मुंह पर थूकती है दोपदी
होती नहीं गर्भवती विद्रोह करती है दोपदी
शॉक देती है मर्दवाद को अपनी साफगोई से दोपदी
कहते हैं जो कि लड़की हो नहीं सकती दोपदी
करती है कड़वी बात मगर दिल की साफ है दोपदी
जानता नहीं कौन है दोपदी
लगता है गोद ली बेटी है दोपदी
(ईमिः 11.08.2016)

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