Sunday, August 11, 2019

लल्ला पुराण 251 (राष्ट्रवाद)

Mayank Awasthi आपने यदि वाकई लेख पढ़ा है तो उसकी अतार्किक बातों का उल्लेख और तार्किक खंडन करें जिससे अगला लेख बेहतर कर सकूं, यह राष्ट्रवाद पर एक प्रस्तावित किताब का हिस्सा है। वैसे मैं अपुष्ट बातें नहीं लिखता "जिन चिंतकों को आपने लेख में जगह दी है उनके विचारों की प्रयोगशाला और उसकी व्यावहारिक पुष्टि का कोई उल्लेख नही है", कृपया स्पष्ट करे जिससे मैं जवाब दे सकूं या विचारों में सुधार कर सकूं, हवा में बात करना फतवेबाजी होती है। हमने तो इसी उद्देश्य से लिखा है कि पाठक राष्ट्रवाद की मिथ्या चेतना से उबर कर तथ्यपरक समझ विकसित कर सके। आप गलतियां स्पष्ट इंगित करें तो सीखकर आगे बेहतर कर सकूं। "धरातल पर ऐसा कुछ हुआ ही नही जो हुआ उसके तरीके दूसरे थे", कुछ क्या? दूसरे क्या? इतना समझदार नहीं हूं कि इशारे की बात समझूं, साफ लिखें जिससे समझकर सीख सकूं। यदि वाकई इतना लंबा लेख आपने पढ़ा तो आभार।

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