Sunday, August 4, 2019

लल्ला पुराण 246 (वार्डनशिप)

कखग: मैं हॉस्टल का वार्डन था, कुछ आमूल बदलाव की नीतियां लागू कर रहा था, मेरे पूर्ववर्ती वार्डन ने कहा कि गधों को रगड़ रगड़ कर घोड़ा नहीं बनाया जा सकता। मैंने कहा मेरा काम है रगड़ना, क्या पता बन ही जाएं। वह बेवकूफ पहले तो बच्चों को गधा मानकर चलता था। उसके समय रोज पुलिस आती थी, मैंने हॉस्टल में पुलिस प्रवेश वर्जित कर दिया, अपने बच्चों के लिए पुलिस बुलाने वाला शिक्षक शिक्षक नहीं हो सकता। 7-8 महीने में हॉस्टल बेहतर जगह बन गया सभी बच्चे मेरे मित्र।

1 comment:

  1. ये 18-20 साल के बच्चे अपराधी या गुंडे नहीं होते, इस उम्र में इतनीऊर्जा होती है जिसके सर्जनात्मक channelization के संस्थागत व्यवस्था होती नहीं कुछ थोड़ा बाहुबल दिखा कर अस्मिता बनाने की सोचते हैं, उन्हें ढंग से समझा दीजिए तो मान जाते हैं। हमारे बच्चे इंटेलीजेंट होते हैं वे आपकी नीयत समझते हैं, जिन लड़कों की जितनी ज्यादा 'क्लास' लिया वे उतनी ही ज्यादा इज्जत करते हैं। कभी किसी छात्र पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं किया।

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