Saturday, August 10, 2019

शिक्षा और ज्ञान 238 (नई शिक्षा नीति)

Shailesh Dwivedi जी, सही कह रहे हैं, अर्थव्यवस्था के साथ ही शिक्षा के भी विनाश की नींव नरसिंह राव के समय भूमंडलीकरण की नीतियां लागू करने के साथ पड़ गयी थी। 1995 में विश्वबैंक के तत्वाधान में गैट्स में विनिमेय (ट्रेडेबल) सेवा के रूप में शिक्षा को शामिल किया गया। उस पर बाकी सरकारें हस्ताक्षर दबाव
में टालती रहीं, 2015 में नैरोबी में मोदी ने कर दिया। शासक वर्ग अपने आंतरिक, कृतिम अंतर्विरोधों को हवा देता है जिससे वास्तविक अंतर्विरोध की धार कुंद हो जाए। विश्वबैंक की दो प्रतिस्पर्धी वफादार पार्टियों (कांग्रेस-भाजपा) के आंतरिक अंतर्विरोध ही राष्ट्रीय राजनैतिकअंतर्विरोध बन गए हैं।

1 comment:

  1. पैसा हो तो पढ़ो।

    सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (CBSE) ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं के लिए 10वीं और 12वीं की बोर्ड फीस 24 गुना से ज्यादा बढ़ा दी है. पहले 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को 50 रुपये देने पड़ते थे. अब यह फीस 1200 रुपये हो गई है. जबकि जनरल कैटिगरी के छात्रों के लिए यह फीस दोगुनी कर दी गई है.पिछले साल पांच सब्जेक्ट्स के लिए फीस 750 और एडीशनल सब्जेक्ट के लिए फीस 150 रुपए थी. अब लेट फीस 2000 रुपए कर दी गई है और माइग्रेशन फीस 350 रुपए है।

    बोर्ड ने पिछले हफ्ते फीस स्ट्रक्चर में बदलाव किया है और आदेश दिया कि जो स्कूल पुराने स्ट्रक्चर के हिसाब से फीस वसूल चुके हैं, वे अब बाकी राशि भी छात्रों से वसूल करें. जो छात्र आखिरी तारीख से पहले बाकी की राशि नहीं चुकाएंगे, उनका रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा और न ही 2019-20 की परीक्षा में बैठने दिया जाएगा.

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