Friday, August 30, 2019

मार्क्सवाद 182 (चिंतन का कर्म)

चिंतन एक व्यवहारिक कर्म है, विचार व्यवहार (वस्तु) से उत्पन्न होते हैं, विचार से वस्तु (व्यवहार) नहीं। यथार्थ की संपूर्णता दोनों की द्वंद्वात्मक एकता से बनती है। दोनों अलग-अलग संपूर्णता के अंश हैं। न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम से सेब नहीं गिरने लगे बल्कि सेबों के गिरने की व्यवहारिक क्रिया ने गुरुकृत्वाकर्षण के नियम को जन्म दिया। सेबों के गिरने की व्यवहारिक क्रिया केवल 'क्या?' प्रश्न का उत्तर देती है, क्यों और कैसे, कितना आदि प्रशनों का उत्तर न्यूटन का सिद्धांत देता है। दोनों मिलकर यथार्थ की संपूर्णता का निर्माण करते हैं।

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