G.N. Singh Kaushik नाजियों, फासीवादियों, जमातियों तथा आरयसयस का मुख्य नारा ही लालगुलामी का रहा है। हम भी शाखामृग थे तो लगाते थे। द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के नियम हर जगह लागू होते हैं। भक्तिभाव तो 2014 के पहले से है। विरोध के लिए कोई विरोध नहीं करता जो जनता और देश के विरुद्ध है उसके विरोध (एंटीथेसिस) से ही सींथेसिस निकलेगी। आपातकाल में, नैनी जेल में संघी और जमाती एक साथ लाल गुलामी छोड़ने के नारे लगाते थे, समाजवादी और कम्युनिस्ट एकसाथ लाल लाल लहराने की। हमारा प्रयास लगाततार धर्म-जाति की मिथ्याचेतना से मुक्ति तथा सामाजिक चेतना के जनवादीकरण की है। संकीर्णतावाद से वैज्ञानिकता की तरफ प्रस्थान की है। अल्पमत में होना गलत होना नहीं होता।
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