जर्मनी और वियतनाम की ही तरह भारत का विभाजन भी औपनिवेशिक शासकों द्वारा प्रायोजित राजनैतिक विभाजन ही था। सांप्रदायिकता धार्मिक नहीं, औपनिवेशिक पूंजी की कोख से पैदा, धर्म के नाम पर उंमादी लामबंदी की राजनैतिक विचारधारा है।
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