Thursday, August 22, 2019

लल्ला पुराण 262 (बाभन से इंसान)

Ashutosh Srivastava मैंने नहीं आपने ही कहा कि आपको जहालत बेहतर लगती है, मैंने तो मुबारकबादही दिया। मैं किसी की भावनाएं नहीं आहत करता अंधविश्वास कीआलोचना से किसी की भावना आहत हो तो उसका कुछ नहीं किया जा सकता। बाभन से इंसान बनना एक मुहावरा है जन्म की अस्मिता की प्रवृत्तियों से ऊपर उठकर विवेकशील इंसान की समानुभूतिक अस्मिता की। कौन कहां किस जाति-धर्म में पैदा हो गया वह एक संयोग भर है।

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