1928 तक जिन्ना कांग्रेस में थे मोतीलाल नेहरू समिति की रिपोर्ट में जिन्ना मुसलमानों का ज्यादा प्रतिनिधित्व चाहते थे ऑक्सफोर्ड के रहमत अली ने पाकिस्तान की बात की उन्हें कोई गंभीरता से लेता नहीं था। जिन्ना तिलक और भगत सिंह के वकील थे। 1938 में सावरकर ने दो राष्ट्र सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1939 में गोलवल्कर ने मुसलमानों को अनागरिक घोषित किया इसके बाद जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग का समर्थन किया। देश बांटना औरनिवेशिक शासकों की चाल थी हिंदू और मुस्लिम सांप्रदायिक तत्व उसके मुहरे बने।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment