Tuesday, April 23, 2013

आधुनिक सीता-अहल्या


आधुनिक सीता-अहल्या 
ईश मिश्र 
चल रहा है यहाँ स्त्री विमर्श 
बंद करो अपना तुगलकी परामर्श 
क्यों  कर हम जाएँ और बसायें अलग जहां
 जिससे मनमानी आपकी चलती रहे यहाँ
जब भी करती है सीता अग्नि परिक्षा से इनकार 
मच जाता है मर्दवाद  में हाहाकार 
अब रामों को अग्नि परीक्षा देना होगा 
क्या-क्या मंगल जंगल में उसने किया होगा ?
अब वह तोड़ देगी निर्वासन की शर्तें सारी 
फिरेगी न वह अब यहाँ-वहां मारी-मारी 
रोक देगी वह तीर उठेंगे जो संबुक की ओर
लायेगी वह दुनिया में एक नयी भोर 
नहीं फंसेगी अह्ल्या अब इन्द्र की जाल में 
भेज देगी उसे वह काल के गाल में 
गौतम को देगी स्वतंतन्त्रता समानता का पैगाम 
जिसे समझने को बनना पडेगा मर्द से एक इन्शान 


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