छः
महीने का मुख्यमंत्री
ईश मिश्र
वह छः महीने का पूर्व मुख्यमंत्री है
याद नहीं क्या नाम है उसका
यह भी नहीं पता क्या काम है उसका
और इससे कविता में फर्क भी नहीं पड़ता
साइकिल भी नहीं थी इसके वंश में
यह् चलता है अब पवन हंस में
रहता है ऐश से सकारी आवासों के बड़े अंश में
छः ही फार्म-हाउस हैं उसकी घोषित संपत्ति में
जेनेवा भी जाता रहता है, पड़ता जब भी आर्थिक विपत्ति में
उसकी वाणी पर संप्रेषण क्रांति की दशा है
कहता कुछ और है सुनाई कुछ और देता है
कहते हैं, यह दशा तब से है जब यह छात्रा नेता था
पढ़ता यह था, इम्तिहान कोई और देता था.
नाइंसाफी के प्रतिरोध में निकल पड़े जब मजदूर किसान
गिरफ्तारी देने पहुँच गए थाने ये श्रीमान
संप्रेषण क्रांति का असर इनके कृत्यों पर भी है
करते त्याग हैं दिखती नौटंकी है
इन्होंने कहा
यदि होता में मुख्य मंत्री
भेजता नहीं इधर एक भी संत्री
अपनी ही प्रजा पर गोली चलवाना?
इससे अच्छा डूब कर मरना
लोगों ने सुना:
यदि में मुख्य मंत्री होता
प्रतिरोध का कोई मौका ही न देता
सोये रहते जब लोग आधी रात में
भेज देता बुलडोजर तोप-टैंक के साथ में
उजाड़ देता रात-ओ-रात गाँव के गाँव
मिलती नहीं तुम्हें कहीं भी कोई ठान्व
फिर भी बच जाते तुम में से कुछ कमीने
देते नहीं हम तुम्हें चैन से जीने
लोग भी कितने क्रितघ्न हैं
पैदा करते बहुरूपिये का विघ्न हैं
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
श्रीमान तो हैं देश सेवा में ही मग्न हैं
इससे फर्क नहीं पड़ता कि इनका नाम क्या है
ये छः महीने के पूर्व मुख्यमंत्री हैं
और सिर्फ़ छः फार्म हाउसो के मालिक
[ March-June 2011]
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