गंगा ढाबा
ईश मिश्र
गंगा ढाबा है जनेवि का काबा
देख चुका कितने ही उतार-चढ़ाव
पार कर चुका कितने ही पड़ाव
बढ़ता ही गया इसका सबाब
जिसने भी दिखाया फिकापरस्त जज्बात
गिर जाती थी उसकी वैचारिक नकाब
की थी काशीराम ने शुरुआत
तेजबीर ने बढ़ाई आगे बात
एक समानांतर गंगा ढाबा इब्ने ने खोला था
देश शर्मा का नशा सिर पर चढ़ कर बोला था
हो गए दोनों ही अब खुदा को प्यारे
सहता रहा यह ढाबा कितने ही गम सारे
लोग आते गए और जाते रहे
इस ढाबे पर समझ बढ़ाते रहे
सुने हैं इसने कितनी ही नज़्मे फैज़ और मजाज़ की
गवाह रहा है नागार्जुन की कविताओं के मिजाज की
सुनी हैं इसने कहानिया कालिदास के श्लोको के राज की
कैफी आजमी की नज़्मे आज भी आबाद हैं
शान इस ढाबे की हमेशा ही जिंदाबाद है
देखी हैं इसने हिच्काक की बहुत फिल्में
गदर और गुरुशरन सिंह बसते हैं इसके दिल में
वाकिफ है यह महा कवि पाश से
और युवा चेरिकुरी राजकुमार आज़ाद के एहसास से
यादें हैं बरकरार जंगल संथाल और कानू सान्याल की
महसूस करते थे हम नक्सलबाड़ी के तूफान के ताप की
था बना जो कारण सर्मायेदारो के संताप की
आइए रखें सजोकर यादें इस ढाबे के प्रताप की
नहीं है यह कोई ढाबा साधारण
रचे जाते रहेंगे यहाँ कितने ही इंक़िलाबी प्रकरण
ताजे हैं अभी भी सालों पुराने इसके संसमरण
ईश मिश्र
गंगा ढाबा है जनेवि का काबा
देख चुका कितने ही उतार-चढ़ाव
पार कर चुका कितने ही पड़ाव
बढ़ता ही गया इसका सबाब
जिसने भी दिखाया फिकापरस्त जज्बात
गिर जाती थी उसकी वैचारिक नकाब
की थी काशीराम ने शुरुआत
तेजबीर ने बढ़ाई आगे बात
एक समानांतर गंगा ढाबा इब्ने ने खोला था
देश शर्मा का नशा सिर पर चढ़ कर बोला था
हो गए दोनों ही अब खुदा को प्यारे
सहता रहा यह ढाबा कितने ही गम सारे
लोग आते गए और जाते रहे
इस ढाबे पर समझ बढ़ाते रहे
सुने हैं इसने कितनी ही नज़्मे फैज़ और मजाज़ की
गवाह रहा है नागार्जुन की कविताओं के मिजाज की
सुनी हैं इसने कहानिया कालिदास के श्लोको के राज की
कैफी आजमी की नज़्मे आज भी आबाद हैं
शान इस ढाबे की हमेशा ही जिंदाबाद है
देखी हैं इसने हिच्काक की बहुत फिल्में
गदर और गुरुशरन सिंह बसते हैं इसके दिल में
वाकिफ है यह महा कवि पाश से
और युवा चेरिकुरी राजकुमार आज़ाद के एहसास से
यादें हैं बरकरार जंगल संथाल और कानू सान्याल की
महसूस करते थे हम नक्सलबाड़ी के तूफान के ताप की
था बना जो कारण सर्मायेदारो के संताप की
आइए रखें सजोकर यादें इस ढाबे के प्रताप की
नहीं है यह कोई ढाबा साधारण
रचे जाते रहेंगे यहाँ कितने ही इंक़िलाबी प्रकरण
ताजे हैं अभी भी सालों पुराने इसके संसमरण
[Jan 2010]
bahut suna hai ganga dhaba ke bare me..!!
ReplyDeleteकभी होकर आइये. मैं तो जब वहाँ रहता था तब जे.एं.यु. बहुत छोटा था. रात की अड्डेबाजी की एक ही जगह थी.
ReplyDeleteबहुत सुंदर सर।।
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