हर छोटी फिसलन इंसान की उसूलों से
ईश मिश्र
हर छोटी फिसलन इंसान की उसूलों से
करती है क़त्ल टुकड़ों में ज़मीर का
देती है उसे मुक्ति अंतरात्मा के बंधन से
और करती है पथ-प्रशस्त अंतिम पतन की.
हर फिसलन के साथ
और करती है पथ-प्रशस्त अंतिम पतन की.
हर फिसलन के साथ
टुकड़ों में गिरता है वह अपनी नज़रों में
घूमता रहता है दयनीय जीव की तरह
खुशफहमी और वहम-ओ-गुमान में
[ईमि/३०. ०४.२०१३]
No comments:
Post a Comment