Monday, April 22, 2013

यह जन्नत दोजख से बिलकुल कम नहीं


यह जन्नत दोजख से बिलकुल कम नहीं 

हो आबरू सीने में तो कोइ गम नहीं

क़त्ल करते ऐसा खंजर पर आता ख़म नहीं 

कातिल-ए-दिल कोई और है हम नहीं

मत दिखा जन्नत के सब्जबाग ऐ वाइज कहीं

ये तुम्हारे खुदा की दुनिया दोजख से कुछ कम नहीं

[ईमि/२३.०४.२०१३]

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