नारी
--ईश मिश्र --
दुनिया में शान्ति थी,था सामंजस्य और सदाचार
सुनकर नारी की ललकार,मच गया है हाहाकार
हो गया अनर्थ कर दिया नारी ने आजादी का इज़हार
और जूती/धरती; देवी/भोग्या बनने से इनकार
कहती है अब उसे आजादी चाहिये
मर्दवाद की बर्बादी चाहिए
धंन धरती भी आधी चाहिये
शिक्षा-शासन में उसे उपाधि चाहिए
यह देखो कलयुग का कमाल
औरत चलती अपनी चाल
अब नहीं बनेगी किसी का माल
क्या होगा इस देश का हाल?
[June 2011]
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