Alok Shukla गर्व अपनी उपलब्धियों पर करना चाहिए न कि प्रकति प्रदत्त संयोग पर। जिसके पास गर्व करने को कुछ नहीं होता वह जन्म के संयोग पर गर्व कर सकता है। राष्ट्र मनोवैज्ञानिक नहीं, सुपरिभाषित राजनैतिक अवधारणा है। हिंदू राष्ट्र की अवधारणा कहां से आएगी? धर्म आधारित राष्ट्र की अवधारणा राष्ट्र की विकृति है। धर्म आधारित पाकिस्तान की दुर्गति देख ही रहे हैं। यदि धर्म राष्ट्र का आधार होता तो पाकिस्तान विखंडित न होता। अभी तो बलूचिस्तान एवं अन्य राष्ट्रीयताएं भी आंदोलित हैं। हिंदू राष्ट्र बनाकर आप भारत को भी विखंडित करना चाहते हैं? पड़ोसी मैला खाए तो आप भी मैला खाना चाहेंगे? क्रिया-प्रतिक्रिया के अपराध प्रवृत्ति से ऊपर उठने की जरूरत है। राष्ट्रवाद पर हिंदी-अंग्रेजी लेखों के लिंक शेयर किया हूं, देख लें तो अनुग्रहित महसूस करूंगा।
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