श्याम कृष्ण पाण्डेय, सर आपसे असहमति की इजाजत चाहूंगा, बुतपरस्त-मुर्दापरस्तों का यह मुल्क मुर्दा कौमों का मुल्क है, तभी मुट्ठी भर अंग्रेज हमारे टुकड़खोर पूर्वजों को वर्दी पहनाकर 200 साल हमें गुलाम बनाकर लूटते रहे; नादिरशाह जैसा चरवाहा कुछ हजार घुड़सवारों के साथ पेशावर से बंगाल तक रौंदता हुआ सितम करता हुआ वापस चला जाता है. सारे शूरवीर बिलों में दुबक जाते हैं। यह मनसा गुलामों का मुल्क हैं जिसे 2 गुजराती रिंग मास्टर सरकस के भालुओं की तरह नचाते हैं।
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