Thursday, June 27, 2019

लल्ला पुराण 228 (हिंदू धर्म)

Neeraj Chaturvedi 1. हिंदू धर्म क्या है? हिंदू ऊंची-नीची जातियों का समुच्चय है, बाभन और मुसलमान का इसीसे लेना-देना है। हिंदू तो कोई पैदा नहीं होता कोई बाभन होता है कोई चमार। बाभन यानि हिंदू आप संयोग से पैदा हो गए, इसमें आपका कोई योगदान नहीं है, हिंदू होने पर गर्व करना बेबात है।

2. राष्ट्रवाद जिस रूप में आज है वह कहीं था ही नहीं तो पुराणों में कैसे होगा? किस पुराण में है? कौटिल्य के अर्थशास्त्र में आबाद क्षेत्र के लिए जनपद शब्दसका इस्तेमाल किया गया है। राष्ट्रवाद यूरोप में आधुनिक राष्ट्र-राज्य की विचारचारा के रूप में लंबी 18 वीं सदी (155-1815) प्रबोधनकाल में राष्ट्रराज्य की विचारधारा के रूप में विकसित हुई। किसी भी पुराण में राष्ट्रवाद का जिक्र नहीं है। पुराणों में राष्ट्रवाद के वर्णन का आपका ज्ञान अफवाहजन्य जानकारी पर आधारित है।

3. मैं भी आपकी तरह इवि में विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं। दुर्भाग्य से विज्ञान हम विज्ञान की तरह न पढ़ाकर शिल्प की तरह पढ़ाते हैं, इसलिए ज्यादातरलविज्ञान केविद्यार्थी अवैज्ञानिक तेवर के होते हैं, जो विज्ञान की भावना समझ जाते हैं वे आइंस्टाइन और रसेल जैसे दार्शनिक बन जाते हैं। कोई अवैज्ञानिक तर्क (कुतर्क) करते मिलता है तो पूछ लेता हूं, 'विज्ञान के विद्यार्थी हो?' और ज्यादातर जवाब सकारात्मक होता है। विद्यार्थियों का दोष नहीं है, विज्ञान की अवैज्ञानिक शिक्षा का दोष है। प्रमाण केंद्रित भौतिकशास्त्र का विद्यार्थी परीक्षा के दिन हनुमान का आशिर्वाद लेने पहुंच जाता है। इसे निजी रूप से मत लीजिएगा। वैज्ञानिक सोच विकसित कीजिए यानि उसी को सत्य मानिए जिसका प्रमाण हो तो जीवन में वैज्ञानिक आनंद मिलेगा जो धर्मांधता के आनंद से काफी श्रेष्ठ होता है।

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