Tuesday, June 18, 2019

फुटनोट 246(क्रिकेट राष्ट्रवाद)

एक अवकाशप्राप्त आईएस (पीसीयस से प्रदोन्नत) मित्र (इलाहाबाद विवि के सीनियर) ने 10 साल बाद फोन किया और अभिवादन के बाद पहला वाक्य उनका था, 'का रे इशवा हम तो हार गए', वे भौतिकशास्त्र के यमयस्सी हैं, मुझे लगा कि भौतिकी के किसी दर्शन की बात कर रहे होंगे। मैंने पूछा, 'क्या हुआ सर, देश की सेवा के कुछ निर्णयों में किसी निर्णय की गलती के अपराधबोध का जिक्र कर रहे हैं?' 'अबे नहीं क्रिकेट में.' मैंने कहा 'आप हारे होंगे या पेप्सी बेचने वाले ये 11 लड़के', उन्होंने फोन काट दिया.
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कहा जा रहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच आज आर-पार की लड़ाई है, पेप्सी बेचने और बल्ला घुमाने-गेंद फेंकने वाले, कम पढ़े-लिखे 11-11 लड़के हिंदुस्तान और पाकिस्तान बन जाते हैं, उसी तरह जैसे कोई चिरकुट अमरीकी किसी भी अश्वेत अमरीकी पर 'मेरे देश से जाओ' कह कर गोली चला देता है जैसे अमरीका उसके बाप का हो, या जैसे कोई भी चीकट भक्त अभक्तों को पाकिस्तान भेजता रहता है. वाह रे आधुनिक राष्ट्र-राज्य. कोई भी मुल्क का मालिक बन मुल्क के नाम से फतवे जारी करता रहता है. राष्ट्रोंमाद धर्मांधता से भी खतरनाक है.

18.ज06.2017)

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