रवि प्रकाश मिश्रा आत्मा के अमरत्व तथा एक शरीर से दूसरी सरीर में आवागमन का सिद्धांत महाभारत के प्रक्षेपण गीता से बहुत पहले पाइथागोरस और उससे प्रभावित प्लेटो ने दिया था। गीता का लेखक श्रोत का जिक्र किए बिना अपनी मौलिक खोज के रूप में पेश करता है। अब यह मत कहिएगा कि गीता पाइथागोरस (6ठीं शताब्दी ईशा पूर्व) से पहले की है! सारे पौराणिक ग्रंथ बौद्ध क्रांति के विरुद्ध ब्राह्मणवादी प्रतिक्रांति (पहली शताब्दी ईशापूर्व) के बाद के हैं। आत्मा के अमरत्व और आवागमन के सिद्धांतकार यह नहीं बताते कि बढ़ती आबादी की अतिरिक्त आत्माएं कहां से आती हैं? भगवान ही नहीं होता तो अवार कहां से होगा जो घोषित करेगा कि वह भगवान है? उसी के बाद साईबाबा, रजनीश, राम कहीम सब खुद को भगवान बताने लगे। कहीं कोई रहस्यवाद नहीं है। बहुत बातें हमें ज्ञात हैं, बहुत ज्ञात होनी हैं। अज्ञात भगवान नहीं।
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