नवउदारवाद (भूमंडलीकरण) के बाद की पीढ़ी को उसके पहले की तमाम आम सुविधाएं अब शगूफा लगेंगी। शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन सरकार की जिम्मेदारी थी। 1970 के दशक में इलाहाबाद विवि में 10 रुपए के आस-पास विवि फीस थी और 8 या 10 रु. हॉस्टल का रूमरेंट। सिटीबस का किराया न के बराबर। जेयनयू में 496 रुपया विवि और हॉस्टल की मिलाकर एडमिशन फीस थी, 10-12 रूपया महीना हॉस्टल फीस थी वह भी मेरिट-कम-मींस छात्रवृत्ति वालों की माफ। 12.50 रूपए में पूरी दिल्ली घूमने का बस पास। महिलाओं की रियायती यात्रा से सरकार पर भार नगण्य पड़ेगा तथा महिलाओं की आवाजाही बढ़ने से शहर के माहौल का जनतांत्रीकरण होगा। केजरीवाल का यह कदम भले ही चुनावी लोकप्रियता वाला हो लेकिन स्वागत योग्य है। अगला कदम छात्रों को मेट्रो का रियायती पास का होना चाहिए। कॉरपोरेट की रियायतों में नाममात्र की कटौती से इसकी भरपाई हो सकती है।
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