Friday, June 28, 2019

ईश्वर विमर्श 82 (धर्म और विज्ञान)

धर्म तथा विज्ञान के अंतरविरोध की एक पोस्ट पर विमर्श में युवा मित्र सुनीत ने राय दी कि धर्म और विज्ञान परस्पर पूरक हैं, उस पर मेरा एक कमेंट:

Sunit Kumar वे किस आशय से बोल रही हैं ये तो Sushila जी ही बेहतर जानती हैं, मुझे लगता है उनका आशय महाभारत में वर्णित कृष्ण द्वारा द्रौपदी की चीर हरण से रक्षा है और पूछ रही हैं कि अब भगवान लड़कियों को बचाने अब क्यों नहीं आते? गीता में कृष्णनखुद को भगवान घोषित करते हैं और कहते हैं कि वे बार बार धर्म की रक्षा में अवतार लेते हैं। गीता का धर्म वर्णाश्रम धर्म है। इस्लाम और ईशाइयत में भी भगवान का कोई रूप नहीं है, उनके भी भगवान निर्गुण हैं। कबीर स्थापित धर्मों की मान्यताओं पर तर्क करते हैं, जबकि धर्म आस्था की वेदी पर तर्क की बलि देते हैं। इसीलिए धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक नहीं बल्कि विरोधी हैं।

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