लोगों के दिमाग में ऐसे खतरनाक binary dichotomies ऐसे आपराधिक स्वरूप में स्थापित हैं कि यदि आप आसिफा के रेप के विरुद्ध खड़े हैं तो ट्विंकल के रेप के समर्थक हैं। अरे भाई हम मानवीय संवेदनाओं के ही चलते आसिफा पर जुल्म से हिल जाते हैं, वे ही संवेदनाए जिंदा रहती हैं और उतनी ही सघनता से द्रवित होती हैं। बेहूदा कुतर्क, यदि आप अखलाक की हत्या का विरोध करते हैं तो यादव की हत्या के समर्थक हैं। चूंकि फिरकापरस्त नफरतबाजों की तरह हमारी सोच प्रदूषित नहीं है कि हम मौत-मौत में फर्क करें -- नफरत के तिजारतियों की तरह लाशों का धर्म गिने, इसीलिए हम उतनी ही सिद्दत से मार दिए गए या अनाथ हो गए फिलिस्तीनी या इथिओपियन बच्चों के बारे में भी उतने ही अवसाद में चले जाते हैं जितना आसिफा या ट्विंकलों के लिए।
----- नमस्कार, शुभरात्रि।
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