Tuesday, June 4, 2019

ज्यादा न मचलिए अपनी बेईमान जीत पर

ज्यादा न मचलिए अपनी बेईमान जीत पर
ईमान का दरिया उट्ठेगा ही एक दिन झूम कर

मेहनत का पसीना दिखाएगा अपना रंग जिस दिन
खाक में मिल जाएगी हराम की ऐंठन उस दिन

लाश पर ऐसे ही मुकदमा चलाते रहे तुम अगर
हाथ लहराते हुए उठ खड़ी होगी वह एक दिन

लात घूंसे के डर से राखी तो बंधवा सकते हो उससे
जगेगा जब इंतकाम उसका खाक में मिल जाएगा सारा बाहुबल

छेड़ो मत मजलूम के अंदर की सुलगती चिंगारी
ढा देगी वह दावानल का कहर एक न एक दिन
(यों ही)
(ईमिः 04.06.2019)

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