गिरीश कर्नाड को सबसे पहले और पहली बार फिल्म निशांत में देखा और एक अलग ढंग के हेडमास्टर का एहसास हुआ, दिल्ली आने के बाद पुराने किले की सेटिंग के मंच पर तुगलक देखा। तय नहीं कर पाया कि वे बड़े अभिनेता थे या नाटककार। असहमति के अधिकार पर हमले के प्रतिरोध में सक्रियता से उन्होंने अपनी नयी भूमिका परिभाषित की। वैसे यह मेरी समझ का फेर है यह क्रांतिकारिता उनके अभिनय और लेखन का अभिन्न अंग रही है। आज के इस कठिन समय में उनकी बहुत जरूरत थी लेकिन वे हमें अलविदा कर गए लेकिन अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाकर। अलविदा गिरीश कर्नाड।
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