नहीं चाहिए हमें कोई भारत-रत्न या पद्म-भूषण या विभूषण
जो भी नाम है किसी गुमनाम मजदूर के पसीने से बने उस तमगे का
बनता है जो शह के मुजाहिदों के गले का आभूषण
मानवता के रक्त से रंजित किसी महामहिम के हाथ
मिटाना है हमें दुनिया से धर्मांधता का प्रदूषण
जिंदा रखना है गौरी-मशाल खान-कलबुर्गी-सुरातों को
फैलाना है सत्य के लिए निडर कुर्बानी की उनकी बातों को
बताना है मरती नहीं कभी गौरी लंकेश
मिशाल बन देती है जुल्म से लड़ने के निडर साहस के संदेश
समझाना है लोगों को गोरख पांडे की कविता का मर्म
कर सकें वे जिससे डरना बंद कर जालिम को डराने का सत्कर्म
निडरता से डराते रहना है जालिम को लगातार
डर से ही जिससे वह मरता रहे बार बार
मरती नहीं गौरियां मरते ने मशाल खान
मिशाल बन सहादतों सुर्ख करते हैं आसमान
नहीं चाहिए हमें भारतरत्न या पद्मविभूषण
मिटाना है हमें दुनिया से धर्मांधता का प्रदूषण
(ईमि: 06.09.2017)
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