कैसे कैसे शिक्षाविद हैं जमाने में
कुलपति छेड़खान पालने लगे हैं
करती हैं लड़कियां ग़र विरोध
उन्हें पुलिस से पिटवाने लगे हैं
पुलिस की मार से वे टूटी नहीं जब
विश्वविद्यालय को ताला लगाने लगे हैं
भगाकर छात्रों को कैंपस से
पीएसी के तंबू लगवाने लगे हैं
गुंडों का अपराध समझ आता है
थानेदार ही अपराध करवाने लगे हैं
कैसा है इतिहास का ये मंजर
शिक्षक लंपटई करने लगे हैं
(अधूरी कविता का पूर्वकथ्य)
(ईमि: 24.09.2014)
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