Sunday, September 24, 2017

बीयचयू

कैसे कैसे शिक्षाविद हैं जमाने में
कुलपति छेड़खान पालने लगे हैं
करती हैं लड़कियां ग़र विरोध
उन्हें पुलिस से पिटवाने लगे हैं
पुलिस की मार से वे टूटी नहीं जब
विश्वविद्यालय को ताला लगाने लगे हैं
भगाकर छात्रों को कैंपस से
पीएसी के तंबू लगवाने लगे हैं
गुंडों का अपराध समझ आता है
थानेदार ही अपराध करवाने लगे हैं
कैसा है इतिहास का ये मंजर
शिक्षक लंपटई करने लगे हैं
(अधूरी कविता का पूर्वकथ्य)
(ईमि: 24.09.2014)

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