डटे रहो, रवीश कुमार
सच कहते हो हस्तियां मिट जाती हैं
नहीं खरीद पातीं एक ईमानदार
हत्या भले करदे, रोक नहीं सकता ईमान की पुकार
एक ईमानदार 100 दलालों पर भारी पड़ता है
सत्ता का भय होता है ईमानदारी का आतंक।
सांईबाबा की ईमानदारी से आक्रांत हो जाता है
धन-दौलत; कानून-कचहरी; पुलिस-मिलिट्री से
लैस होने के बावजूद धन-पशुओं का निजाम
और बंद करने को उसकी आवाज
फंसा लेता है कानून-कचहरी के जाल में
जानता नहीं कि दबती नहीं ईमानदारी की आवाज
तेजतर होती जाती है है दबाने की हर कोशिस के साथ
(ईमि:22.09.2017)
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