हमारा कलम हमारा औजार भी है, हथियार भी
बंदूकों के शाए में कायर जीते हैं
जैसे गोरक्षख गुंडों की तरह
कुत्ते झुंड में शेर हो जाते हैं
लेखक जीता है निडर
लिखता है निडर
मौत का कुछ भरोसा नहीं
इसलिए लिखता रहता है
मौत के खौफ से बेखबर
(ईमि:17.09.2017)
No comments:
Post a Comment