मित्र मैं ज्ञान की तलाश में अज्ञानी हूं। कोई अंतिम ज्ञान नहीं होता, ज्ञान एक निरंतर प्रक्रिया है। हर अगली पीढ़ी तेजतर होती है और पिछली पीढ़ियों के ज्ञान को छानकर और संयोयित कर उसे आगे बढ़ाती है। तभी मानव पाषाणयुग से साइबर युग तक पहुंचा है। हर पिछली पीढ़ी अज्ञान और अहंकार में यह बात स्वीकार नहीं और वह आगली पीढ़ियों को पीछे खींचता है, लेकिन अंततः इतिहास आगे ही बढ़ता है, पुरातन को धकियाकर। हमारे पाषाणयुग या ऋगवैदिक पशुपालक युग के पूर्ज हमसे ज्यादा बुद्धिमान हो ही नहीं सकते। किसी सुदूर अतीत में महानताओं की तलाश, वर्तमान की समस्याओं से विषयांतर और भविष्य के खिलाफ साजिश है। ये साजिशकर्ता जरूरी नहीं है कि जानबूझकर ऐसा करते हैं बल्कि वे खुद को धोखा देते हैं क्योंकि वे अपने फरेब को सच मानते हैं। मैं ऐसे ही एक कट्र कर्मकांडी परिवार में पला हूं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment