Saturday, September 2, 2017

मार्क्सवाद का भूत

गाते हैं दिन-रात भजन वे मार्क्सवाद की मर्शिया का
करते रहते हैं घोषणा वामपंथ के इतिहास के अंत का
सवार रहता मगर उनपर पर भूत माओ और लेनिन का
सबसे अधिक प्रताड़ित करता है इन्हें भूत स्टालिन का
मुद्दा हो चाहे पर्यावरण या फिर फासीवाद
अभुआने लगते हैं नक्सलवाद-नक्सलवाद
लगता है मिलता नहीं इन्हें कोई काबिल ओझा-शोखा
जो समझा सके इन्हें कि भूत की बात है महज धोखा
(ईमि: 03.09.2017)

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