जी मैं तो घबरा गया कि आपने मुझ शिक्षक को लताड़ा है। वैसे जेयनयू मेरे लिए आश्रयदाता तो है ही, घर-गांव सा है। उसी के तत्वाधान में वैज्ञानिक सोच का विकास हुआ। उसके पहले विज्ञान का विद्यार्थी था इसलिए सामाज की वैज्ञानिक समझ अविकसित तो नहीं विकास की साढ़ी के काफी निचले पायदान पर थी। इसीलिए जेयनयू को गाली खुद को गाली से ज्यादा लगती है, कभी तैश में असंयमित भाषा का इस्तेमाल करके पछताता हूं। वैसे पीयडी बाभन से इंसान बनाने की गारंटी नहीं है, न ही शिक्षक की नौकरी शिक्षक होने की।
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