Friday, June 12, 2015

चिराग जलता रहेगा

चिराग जलता रहेगा सहर होने तक
जंग चलता रहेगा अमन अाने तक

डर है कि काले बादलों से न घिर जाये माहताब
दाग़दार न हो जाये इक नई सुर्ख सुबह का ख़ाब

अाम अादमी की भूमिका में थे जब अाप
सोचा था लोगों ने कम होगा कुछ संताप

मगर बनते ही खास अाम से
दफ्न किया नैतिकताअाराम से

उतार फेंका अाम अादमी का चोंगा
अावाम को दुत्कारा कह पंडित पोंगा

अपनाया सत्ता पाने की मैक्यावली की सलाह
किया न मगर चलाने के मशविरों की परवाह

अवश्यंभावी है उसी तरह अापका सर्वनाश
हो रहा है जिस तरह वंशवाद का सत्यानाश

 क्रांति का बीज जब बोयेगा अावाम
होगा सब  फरेबियों का काम-तमाम.
(ईमिः29.03.2015)

3 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को शनिवार, १३ जून, २०१५ की बुलेटिन - "अपना कहते मुझे हजारों में " में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।

    ReplyDelete
  2. सपने देखने में कोई हर्ज नहीं है :)
    फरेबियों का काम होता है तमाम भी हो जाये शायद :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. सपने न देख कर भी क्या करलेंगे

      Delete